A Review Of Hindi poetry

जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,

'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'। ६।

यज्ञ अग्नि सी धधक रही है मधु की भटठी की ज्वाला,

विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।।२४।

अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५।

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जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी more info मधुशाला।।२१।

मेरे शव पर वह रोये, हो जिसके आंसू में हाला

जहाँ अभी हैं मन्िदर मस्जिद वहाँ बनेगी मधुशाला।।५३।

भर लो, भर लो, भर लो इसमें, यौवन मधुरस की हाला,

घूँघट का पट खोल न जब तक झाँक रही है मधुशाला।।५२।

आज करे परहेज़ जगत, पर, कल पीनी होगी हाला,

अपने अंगूरों से तन में हमने भर ली है हाला,

प़र क्या ये सच है की गर रास्ता बदल जाता तो

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